Dutyyyyy


एक सर्द शाम जब कदम रजाई में समेटे,चाय की चुस्की संग अखबार में व्यस्त थे, तभी नजर कुछ पंक्तियों पर ठिठक गई।।

" ! रजाई ओढ़ के सोच रहा हूँ,
उन्हौंने बर्फ की चादर कैसे ओढ़ी होगी "!
Big Salute to the Brave Hearts of the Nation...



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